अपने गाँव चले आना
भीड़ में जब घबराहट हो, और रिश्तों में कड़वाहट हो,
बेझिझक पीपल की छावं चले आना,
सब होंगे चौबारे पर, तुम अपने गाँव चले आना
बच्चों को संसार मिलेगा, बूढ़ों को भी प्यार मिलेगा
कम आमद में चैन मिलेगा
गीत सुनाते फागुन का
तुलसी और हशनेन मिलेगा ना समय की जहाँ पाबंदी हो तो दौड़े पांव चले आना | अपने तुम गाँव चले.... बूढ़ि काकी, भौजी प्यारी,
मटर चना गेंहूं की बाली, चने साग की बात निराली शुद्ध हवा शुद्ध दूध मेलेगा,
बच्चों की हो बात निराली
होने को सेना में भर्ती
हर युवा तैयार मिलेगा
जब जीवन में आये उदाशी
सीधे पांव चले आना | तुम अपने गाँव चले
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